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IMPORTANCE OF TIME (SHORT STORY PART-2)


                                           

   उसके पापा ने कहा की अभी हर्ष घरपे नहीं हैं फिर में वह से चली गयी। और भी कितने दिन तक हर्ष कॉलेज नहीं आ रहा था श्रुति भी बड़ी उद्दस रहती थी। एक दिन मेने श्रुति को बोलै की में उसके घर गयी थी पर वो घरपे नहीं था आज फिर से जाउगा और पता लगा कर आउगी  की आखिर क्या मामला हैं। कॉलेज क बाद में काम निपटा के हर्ष के घर गयी उस दिन भी उसके पापा ने वही जवाब दिया की वो घर पे नहीं हैं। में उसके घर क अंदर गयी और बोलै की आज उसको मिल कर ही जाउगी। बहुत टाइम हो गया पर हर्ष नहीं आया फिर मेने उसके पापा से रिक्वेस्ट की" क्या प्रॉब्लम हैं प्ल्ज़ बोलिये "! उसके पापा ने हर्ष को आवज़ दी और हर्ष ऊपर के कमरे से बहार आया में बिलकुल चौक गयी और उसके पास जाकर एक थपड लगाय।                                                                                                                                                                                           

                                                                                                                                              
 मेरे पूछने पर हर्ष ने बताया की मेरे पापा का बिदेश में ट्रांसफर हुआ हैं तो में उसके साथ चला जाउगा तो वो यहाँ अकेली रह जाएगी और अगर वो मेरे साथ वह सेटल हो जाएगी तो यहाँ उसके पापा अकेले हो जायेगे क्युकी उसकी मम्मी तो थी नहीं। मेरे लाख समझाने पर भी हर्ष नहीं माना और उसने मुझे एक प्लान बताया की श्रुति उसे हमेशा के लिए भूल जाये। श्रुति को ये बात न बताने की कसम दे रखी थी। दूसरे दिन श्रुति ने मुझसे पूछा पर में उसे ये बात न बता सकी। १४ फेब्रुअरी आ रही थी यानि की वेलण्टिन्स डे,मुझे जो प्लान बताया था वही प्लान उस दिन को हमे करना था।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                             आखिर वैलेंटाइन्स डे के सेलिब्रेशन क लिए सब हॉल में इकठा हुए थे श्रुति भी बड़ी सूंदर वाइट ड्रेस,खुले बाल में बहुत हु सूंदर लग रही थी। सभी स्टूडेंट्स बड़े ही खुश थे और श्रुति को भी पूरा भरोसा था की हर्ष आज पक्का आएगा। श्रुति जिस ख़ुर्शी में बैठी थी उसके बगल वाली ख़ुर्शी हर्ष क लिए खली पड़ी थी।  बहुत सारी गेम्स खेली लास्ट गेम स्टार्ट हुई तब हर्ष हॉल में आया। श्रुति को तो जैसे जान से आ गयी ऐसे देख रही थी और बड़ी ही खुश हो गयी। हर्ष ने आकर श्रुति क बगल में न बैठकर दूसरी ख़ुर्शी पे बेथ गया ,सभी स्टूडेंट्स चौक गए यह देखकर।  गेम का नाम था माय वेलेंटाइंस। उस गेम अभी स्टूडेंट्स को अपनी अपनी चिठ्ठी में अपने लव क बारे में कुछ लाइन लिखनी थी। सभी ने चिठ्ठी लिखकर बॉक्स में दाल दी।  में उस दिन एंकरिंग क रही थी.

  इसलिए में एक एक चिठ्ठी को खोलकर किसने किसके लिए क्या लिखा वो बोल रही थी।  लास्ट चिठ्ठी हर्ष की थी उसमे उसने श्रुति के लिए कुछ लाइन्स लिखी थी।  "यु बीच " !! यू have स्पोइल माय लाइफ लिखे एनीथिंग !! आई हेट यु फॉरएवर एंडेवर !! यह सुनकर सभी स्टूडेंट्स हैरान रह गए। श्रुति बड़ी ही उदास हो कर रोने लगी और हॉल से दौड़ती हुयी चली गयी।  





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